बजट 2020 के बाद म्यूचुअल फंड्स में कर रहे हैं निवेश, तो इन बातों का रखें ध्यान

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बजट 2020 (Budget 2020) के बाद ऐसे कई बदलाव हुए हैं, जो म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds) में निवेश करने के तरीके पर असर कर सकते हैं. जब हम म्यूचुअल फंड में निवेश पर हुए हर एलान को देखते हैं, तो कई म्यूचुअल फंड्स से जुड़े टैक्स बजट 2020 में किए गए बदलावों के बाद पूरी तरह बदल सकते हैं. ऐसे में अगर आप आने वाले दिनों में म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने की सोच रहे हैं, तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा. आइए कुछ ऐसी बातों के बारे में जानते हैं जिन्हें म्यूचुअल फंड्स में निवेश करते समय देखना बहुत जरूरी है.

क्या नई प्रस्तावित टैक्स स्लैब को चुनना चाहिए?

बजट में नई टैक्स स्लैब का प्रस्ताव किया गया है. इससे निवेशकों को अपनी वित्तीय योजना के मुताबिक सही जगह इनवेस्टमेंट ऑप्शन को चुन सकते हैं. इसमें उनके लिए टैक्स की बचत करने के उद्देश्य से ELSS में निवेश करना जरूरी नहीं है. इसलिए अब लॉक-इन पीरियड को खत्म होने के लिए 3 साल तक इंतजार करने की जरूरत नहीं है.

नई स्लैब के भीतर आप अपने वित्तीय लक्ष्यों, जोखिम की क्षमता और रिटर्न की उम्मीदों के मुताबिक उपयुक्त म्यूचुअल फंड को चुन सकते हैं. इसलिए अगर आप टैक्स बचाने के लिए निवेश नहीं कर रहे और एक अच्छे गोल-ओरिएंटेड इंवेस्टमेंट की तलाश कर रहे हैं, तो म्यूचुअल फंड्स एक ऑप्शन है.

क्या डिविडेंड इनकम पर TDS का भुगतान नहीं करना चाहते हैं ?

बजट 2020 में यह प्रस्ताव किया गया है कि डिविडेंड इनकम पर 10 फीसदी का टैक्स डिडक्शन ऐट सोर्स (TDS) लगेगा. यह उस स्थिति में होगा, जब निवेशक को मिली डिस्ट्रीब्यूशन अमाउंट 5000 रुपये से ज्यादा है. अगर आप TDS का भुगतान नहीं करना चाहते, तो आप म्यूचुअल फंड्स में निवेश करते समय ग्रोथ स्कीम को चुन सकते हैं.

अगर म्यूचुअल फंड स्कीम में डिविडेंड पर TDS की कटौती भी होती है, तो आपके पास TDS रिफंड को क्लेम करने का ऑप्शन हमेशा रहता है. लेकिन इसमें आपकी टैक्स लायबिलिटी कम होनी चाहिए. अगर आपकी टैक्स लायबिलिटी डिविंडेंड पर कटने वाले TDS से ज्यादा होने की उम्मीद है, तो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि इसमें आपको आगे चलकर टैक्स का भुगतान करना ही है.

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DDT के खत्म होने से असर

वर्तमान में मौजूद नियम के भीतर इक्विटी म्यूचुअल फंड्स से मिली डिविडेंड इनकम पर 11.65 फीसदी की दर से DDT लगता है और डेट फंड्स पर 29.12 फीसदी की दर से DDT वसूला जाता है. यह शेयरधारकों को डिस्ट्रीब्यूशन से पहले होता है. बजट में DDT को खत्म करने का एलान किया गया है और अब निवेशकों को प्राप्त हुई डिविडेंड इनकम पर उपयुक्त टैक्स रेट के मुताबिक कर लिया जाएगा.

अगर आप 30 फीसदी टैक्स स्लैब में आते हैं, तो आपको डिविडेंड इनकम पर 30 फीसदी टैक्स का भुगतान करना होगा. अगर आप 20 फीसदी या 5 फीसदी की कम टैक्स स्लैब में आते हैं, तो आपको उपयुक्त रेट पर कर का भुगतान करना होगा. क्योंकि अब निवेशकों के हाथों में मौजूद डिविडेंड इनकम पर टैक्स लगेगा, इसलिए टॉप टैक्स स्लैब में मौजूद निवेशकों को ज्यादा कर का भुगतान करना होगा और कम टैक्स स्लैब में मौजूद निवेशकों को कम कर का भुगतान करना होगा.

अगर आप डिविडेंड इनकम पर टैक्स का भुगतान नहीं करना चाहते, तो इक्विटी म्यूचुअल फंड में ग्रोथ ऑप्शन में निवेश करना बेहतर विकल्प होगा. एक वित्तीय वर्ष में इक्विटी फंड पर एक लाख रुपये तक के LTCG पर टैक्स छूट है और 1 लाख से ज्यादा LTCG पर 10 फीसदी का टैक्स लगेगा. अगर आप 10 फीसदी या 15 फीसदी से ज्यादा के टैक्स स्लैब में आते हैं, तो 10 फीसदी की दर पर LTCG टैक्स या 15 फीसदी की दर से STCG टैक्स का भुगतान करना आपके लिए ज्यादा फायदेमंद होगा. आप नियमित इनकम के साथ ग्रोथ ऑप्शन के लिए SWP को चुन सकते हैं.