नोट से भी फैलता है कोरोना वायरस, डिजिटल पेमेंट सिस्टम का करें इस्तेमाल

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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक नोट, क्रेडिट और डेबिट कार्ड के जरिए कोरोना वायरस फैल सकता है. यह बीमारी भारत में भी आ चुकी है और इसे फैलने से रोकना बेहद जरूरी है. ऐसे में जानाकारों का मानना है कि लोगों को बिना संपर्क में आने वाले पेमेंट सिस्टम जैसे UPI, IMPS, RTGS, मोबाइल वॉलेट और नेट बैंकिंग का इस्तेमाल करना चाहिए. बैंकिंग टेक्नोलॉजी प्रोवाइडर कंपनी सर्वत्र टेक्नोलॉजी के MD और फाउंडर Mandar Agashe ने FE ऑनलाइन को बताया कि बिना संपर्क वाले पेमेंट के जरियों को अपनाने से कॉन्टैक्ट-बेस्ड पेमेंट के जरिए कोरोना वायरस को फैलने से रोकने में मदद मिलेगी.

WHO ने बयान में दी जानकारी

उन्होंने कहा कि बिना संपर्क वाले भुगतान के जरिये मुश्किल समय में काम आएंगे. ऐसा माना जाता है कि नोवल कोरोना वायरस कई दिनों तक सतह पर अपनी पूरी एक्टिव स्टेट में रह सकता है. ऐसी स्थिति में रोजाना लोगों का फिजिकल कैश देने से संक्रमित होने का बड़ा खतरा है. WHO ने साफ तौर पर इसके बारे में नहीं बताया है लेकिन उसने एक बयान जारी किया है जिसमें कॉन्टैक्ट लेस पेमेंट का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया गया है.

अगाशे के मुताबिक भारत में कोरोना वायरस का प्रकोप अभी भी शुरुआती दौर में है और इसे फैलने से रोकने के लिए कई कदम लिए जा रहे हैं. मौजूदा स्थिति को देखते हुए कॉन्टैक्ट-लेस पेमेंट सिस्टम जैसे UPI, IMPS, RTGS, मोबाइल वॉलेट और नेट बैंकिंग से लोगों के संपर्क को कम करने में बड़ी मदद मिलेगी.

सर्वत्र टेक्नोलॉजी के फाउंडर ने बताया कि बहुत सी कंपनियां जो डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन से गुजर रही हैं या नई टेक्नोलॉजी का प्रचार कर रही है, उनमें डिजिटल भुगतान ज्यादा तेजी से इस्तेमाल में आएगा जिससे लोगों के संपर्क में आने से होने वाला वायरस का संक्रमण कम होगा.

लोगों को जागरुक करना जरूरी

नोट के जरिए कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के कदमों के बारे में उन्होंने कहा कि लोगों के लिए नोट रिलीज करने से पहले उसे स्टर्लाइज्ड किया जा सकता है. इसके अलावा डिजिटल भुगतान के इस्तेमाल पर लाभ दिए जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि इसको लेकर लोगों को जागरूक करना जरूरी है. लोगों को शिक्षित किया जाना चाहिए कि कॉन्टैक्ट-लैस पेमेंट से कोरोना वायरस से जुड़े खतरे को कम किया जा सकता है. इससे लोगों की रोजाना की आदत में बदलाव होगा और बड़े स्तर पर वित्तीय समावेशन भी होगा.