रिटायरमेंट के बाद भी नहीं होगी पैसे की कमी, आराम से गुजरेगी लाइफ; ऐसे बनाएं पर्याप्त फंड

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Retirement Planning: सम्राट ने अपने दोस्तों और परिवार के सुझाव के मुताबिक रिटायरमेंट प्लानिंग की. उन्होंने 1994 में जब उनकी उम्र 35 साल थी, उस समय 10,000 रुपये प्रति महीना अपनी रिटायरमेंट के लिए निवेश करना शुरू कर दिया. इस साल वह रिटायर होने जा रहे हैं और वह इस बात को सोचते हैं कि उन्हें कम से कम 1.5 से 2 लाख रुपये प्रति महीने की जरूरत होगी. लेकिन अगर आप देखें, तो उन्हें सालाना 7-8 फीसदी का रिटर्न मिला और उनकी कुल राशि लगभग 1 करोड़ की है. यह राशि जिसे कम रिस्क वाली फिक्स्ड डिपॉजिट में रखा गया था, उन्हें 64,000 रुपये प्रति महीना देगी.

1 करोड़ का कॉर्पस पर्याप्त नहीं

अब जब रिटायरमेंट का समय नजदीक है, उन्हें पता चलता है कि उनकी परिवार की जरूरतों और रिटायरमेंट के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए 1 करोड़ की राशि पर्याप्त नहीं है. उन्होंने अपने खर्च को देखा और उन्हें पता चला कि यह राशि उनके मासिक खर्च को पूरा करने के लिए बिल्कुल पर्याप्त नहीं है. और महंगाई के साथ उनका खर्च लगभग 12 सालों में दोगुना हो जाएगा. इसी वजह से उन्हें कॉर्पस में से बड़ी राशि अपने लिए चाहिए होगी और समय से पहले उनका फंड खत्म हो जाएगा.

1 करोड़ रुपये का फंड व्यक्ति को बड़ा लग सकता है. लेकिन अगर व्यक्ति सभी खर्चों पर ध्यान दे जैसे लोन का बकाया, बच्चों की शिक्षा या शादी, इलाज का खर्च और इन सबसे ज्यादा महंगाई, तो यह राशि सभी लोगों के लिए पर्याप्त नहीं है. इस बात में कोई संदेह नहीं है कि भारतीय जिस तरह पहले बचत करते थे, वह अब नहीं करते हैं. पिछले कुछ सालों में भारतीयों की कुल वित्तीय बचत जीडीपी का लगभग 9 से 10 फीसदी रही है. नेट फाइनेंशियल सेविंग्स गिर रही हैं. 2011-12 में यह जीडीपी के 7.2 फीसदी से गिरकर 2017-18 में 6.5 फीसदी हो गई.

Retirement Planning: इन बातों का रखें ध्यान

तकनीकी तौर पर देखें कि रिटायरमेंट प्लानिंग पर काम करते हुए, इस बात पर सोचना जरूरी है कि रिटायरमेंट के बाद आपकी स्थिति क्या होगी. क्या आपके लिए दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताना ही पर्याप्त है या आपको विदेशों में सफर और महंगे रेस्टोरेंट में खाना भी जरूरी है. इस बात पर भी ध्यान दें कि रिटायरमेंट के बाद कौन-से खर्च कम होंगे जैसे कपड़े, और कौन-से ज्यादा हो जाएंगे जैसे एयरलाइन टिकट या इलाज का खर्च. इसके साथ मुद्रास्फीति को भी कैल्कुलेट करें, खासकर जब आप रिटायरमेंट से एक साल से ज्यादा दूर हों. एक आसान नियम है कि व्यक्ति को रिटायरमेंट के बाद बेहतर जीवन के लिए अपनी रिटायरमेंट से पहले की आय का 70 से 80 फीसदी चाहिए.

रिटायरमेंट का लक्ष्य लंबी अवधि का है, इसलिए इसे हासिल करना आसान नहीं है. सम्राट ने सही समय पर बचत करनी शुरू की लेकिन आखिर में वह अच्छी स्थिति में नहीं पहुंचा. क्योंकि उन्होंने सही योजना नहीं बनाई थी. रिटायरमेंट के लिए प्लानिंग करते समय बेहतर रिटर्न के लिए जितना जल्दी आप शुरू कर सकें, उतना बेहतर है. इसके साथ ही आपको बचत के किसी एक स्रोत पर निर्भर नहीं रहना चाहिए. क्योंकि ज्यादा उम्र में हमेशा ज्यादा इमरजेंसी की स्थिति होती है. इसलिए, इसका सामना करने के लिए पर्याप्त कॉर्पस होना जरूरी है.

पैसे की बचत के साथ निवेश करना भी जरूरी

अगर आप ज्यादातर लोगों की तरह अपनी रिटायरमेंट की राशि को अलग-अलग निवेशों में रखना चाहते हैं, तो एक पूरे जीवन की ULIP एक अच्छा ऑप्शन है. इसमें आपको 99 से 100 साल की उम्र तक सुरक्षा के साथ निवेश का बेनेफिट भी मिलेगा. यह ऐसे प्लान्स हैं जहां आपके लाभार्थियों को डेथ बेनेफिट के साथ रिटायरमेंट के दौरान आपकी जरूरतों को भी पूरा करेगा. आप पूरे जीवन की ULIP में 18 से 100 साल के बीच किसी भी उम्र में निवेश कर सकते हैं और किसी भी उम्र में इससे बाहर निकल सकते हैं. आप उस समय तक की भी चुन सकते हैं जिस उम्र तक आपको बचत करना या पैसा इकट्ठा करना है. यह आपके रिटायरमेंट तक हो सकता है.

रिटायरमेंट पर मिलने वाला मेच्योरिटी बेनेफिट इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस उम्र में बचत करना शुरू करते हैं. उदाहरण के लिए 60 साल की उम्र तक आप अपने कॉर्पस को 5 करोड़ तक का कॉर्पस जमा करने की उम्मीद रखते हैं, तो आपको पूरे जीवन की ULIP में कम से कम 30 साल की उम्र तक निवेश करना शुरू करना होगा. और 60 साल की उम्र तक आपको हर महीने 15,000 रुपये तक का निवेश करना होगा. आपके पास मेच्योरिटी बेनेफिट लेने या एकमुश्त राशि या स्ट्रक्चर्ड पे-आउट का सेटेलमेंट ऑप्शन रहेगा. किसी वित्तीय आपातकाल की स्थिति के मुताबिक आप पेंशन को बढ़ा या घटा सकते हैं, जो टैक्स फ्री भी है.